ahh.. wel.. my first hindi poem on the blog.. n the second one ive evr written(first one was written in 7th class.. n is utter rubbish!!)..
i wud sure love some cmnts on this one....
बस धुंधलके की लहर में,
जा रहा था मैं सहर सा,
शाम की गुमसुम हवा में,
मौत के अदभुत कहर सा!
ये बुढापा यों ढाला था,
रात ढलती है कि जैसे,
ठंड में सिमटी हुई वो,
आह भरती है कि जैसे!
खून से लथपथ सिपाही,
जान कि बाजी लगा दे,
आ रहा हूँ मौत मैं भी,
गोद में अपनी पनाह दे!
वल्द से बिछ्दी हुई इक,
माँ की उस सूनी नज़र से,
देखता हूँ खुद की इन,
पर्छाइयो को मैं भी ऐसे!
उस कृषक के धू-धू करते,
राख बनते, खेत दिखते,
'वो' उसके खूं से ही उसी की,
मौत का पैगाम लिखते!
ऐसे ही कुछ, इस तरह से,
मेरे सपने भी जला दे,
आ रहा हूँ मौत मैं भी,
गोद में अपनी पनाह दे!
5 comments:
आने वाले कल के आइंस्टाइन से, से इतनी भावुक कविता - मान गये। शायद sweetest songs are those which tell of saddest thoughts. हिन्दी में और भी क्यों नहीं लिखती।
wah wah...hadnt read a hindi poem since class X!!
Hindi's not my bastion ,though my mother tongue tells me that this poem is really good!!!:)
धन्यवाद उन्मुक्त जी.
मुझे ज्ञात नहीं था की हिंदी-प्रेमी भी मेरा ब्लोग पढ़ते हैं ...
और उन्हें मेरी कविता पसंद आई तो ये तो अत्यंत हर्षोल्लास की बात है!!
अब इस क्षेत्र में अपनी प्रतिभा का ज्ञान हुआ तो आने वाले समय में और कुछ लिखने का प्रयत्न करुँगी..
keep blogging n keep visiting...
wud love to see you here more often..
@ayush.. this is my first time aftr 10th too.. wen i picked up my pen to write sumthin in hindi..
n i dunno how it got made!!!
but thnx for ur praise.. keep blogging .. n keep visiting..
Seriously speaking : It took an effort to read this one.. coz firefox doesn't render hindi fonts properly..
wonderfully written.. we both wrote abt death at the same time.. Coincedence?? or secret death wishes?? hehe
I loved the lines..
ऐसे ही कुछ, इस तरह से,
मेरे सपने भी जला दे,
आ रहा हूँ मौत मैं भी,
गोद में अपनी पनाह दे!
lovely poem dear
मुझे क्या पता था की मोहतरमा उर्दू मे भी likhti हैं?
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